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महामानव बाबा साहेब की जयंती पर श्रद्धांजलि सुमन अर्पित — संविधान के निर्माता को समर्पित रहा राजनांदगांव का आयोजन


Son kumar sinha
15-04-2025 06:51 PM
राजनांदगांव : भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव आम्बेडकर की 133वीं जयंती पर राजनांदगांव स्थित डॉ. आम्बेडकर भवन, सिविल लाइन्स में भव्य आयोजन का साक्षी बना शहर। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। कार्यक्रम की शुरुआत भारत के संविधान की प्रस्तावना के सामूहिक वाचन से हुई, जिसमें उपस्थितजनों ने एक स्वर में संविधान के आदर्शों को दोहराया।
बाबा साहेब: विचारों के अमर दीप
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव आम्बेडकर केवल एक व्यक्ति नहीं बल्कि युगद्रष्टा थे। उन्होंने करोड़ों लोगों के जीवन में नई चेतना, आत्मविश्वास और उजाले का संचार किया। समता, न्याय और बंधुत्व के मूलमंत्र के साथ उन्होंने 'शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो' का संदेश देकर सामाजिक परिवर्तन की क्रांति की नींव रखी।
बौद्ध समिति को मिला संबल
बौद्ध कल्याण समिति की मांग पर डॉ. रमन सिंह ने 10 लाख रूपए की आर्थिक सहायता की घोषणा करते हुए कहा कि यह समाज की उन्नति और जागरूकता के प्रयासों को नई गति देगा।
संविधान: एक भारत, श्रेष्ठ भारत की नींव
डॉ. सिंह ने कहा कि बाबा साहेब द्वारा निर्मित संविधान केवल अधिकारों की पुस्तक नहीं, बल्कि कर्तव्यों की चेतना का दस्तावेज़ है। इसी संविधान ने देश को एक सूत्र में पिरोकर 1947 से लेकर आज 2025 तक मजबूत बनाए रखा है। उन्होंने कहा कि यह संविधान भारत जैसे विविधता भरे देश को एकता के सूत्र में बांधता है, जहां सैकड़ों भाषाएं, बोलियां, और संस्कृतियां मिलकर एक राष्ट्र की परिकल्पना को साकार करती हैं।
गौरवशाली उपस्थिति
कार्यक्रम में बौद्ध कल्याण समिति के अध्यक्ष कांति कुमार फुले ने स्वागत भाषण दिया। साथ ही महापौर मधुसूदन यादव, जनप्रतिनिधि कोमल सिंह राजपूत, प्रमुख वक्ता आर. शंभरकर, डॉ. दिवाकर रंगारी, सुशील गजभिये, डॉ. सतीश वासनिक, डॉ. केएल टांडेकर सहित समाज के कई गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। बड़ी संख्या में बौद्ध समाज के लोगों ने उत्साहपूर्वक भागीदारी दर्ज कर बाबा साहेब के विचारों को नमन किया।
संघर्ष से समरसता तक का सफर
कार्यक्रम ने यह संदेश दिया कि सामाजिक समानता और अधिकारों के संघर्ष में बाबा साहेब की भूमिका चिरस्मरणीय है। उन्होंने संविधान के माध्यम से भारत को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का मार्ग दिखाया। यह आयोजन उनके विचारों को न केवल स्मरण करने का अवसर बना, बल्कि उन्हें जीवन में आत्मसात करने की प्रेरणा भी प्रदान करता है।
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